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- جز لطف و جز حلاوت خود از شکر چه آید
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دیوان کبیر |
شعر |
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- جز وی چه باشد کز اجل اندررباید کل ما
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دیوان کبیر |
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- جستهاند دیوانگان از سلسله
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دیوان کبیر |
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- جسم و جان با خود نخواهم خانه خمار کو
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دیوان کبیر |
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- جفا از سر گرفتی یاد میدار
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دیوان کبیر |
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- جفای تلخ تو گوهر کند مرا ای جان
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دیوان کبیر |
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- جمع باشید ای حریفان زانک وقت خواب نیست
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دیوان کبیر |
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- جمع تو دیدم پس از این هیچ پریشان نشوم
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دیوان کبیر |
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- جمع مکن تو برف را بر خود تا که نفسری
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دیوان کبیر |
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- جمله خشم از کبر خیزد از تکبر پاک شو
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دیوان کبیر |
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- جمله یاران تو سنگند و توی مرجان چرا
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دیوان کبیر |
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- جنتی کرد جهان را ز شکر خندیدن
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دیوان کبیر |
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- جود الشموس علی الوری اشراق
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دیوان کبیر |
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- جور و جفا و دوریی کان کنکار میکند
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دیوان کبیر |
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- جهان اندر گشاده شد جهانی
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دیوان کبیر |
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- جهان را بدیدم وفایی ندارد
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دیوان کبیر |
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- جهان و کار جهان سر به سر اگر بادست
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دیوان کبیر |
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- چارهای کو بهتر از دیوانگی
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دیوان کبیر |
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- چرا چون ای حیات جان در این عالم وطن داری
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دیوان کبیر |
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- چرا ز اندیشه ای بیچاره گشتی
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دیوان کبیر |
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