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- سبکتری تو از آن دم که میرسد ز صبا
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دیوان کبیر |
شعر |
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- سپاس آن عدمی را که هست ما بربود
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دیوان کبیر |
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- سپاس و شکر خدا را که بندها بگشاد
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دیوان کبیر |
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- سپیده دم بدمید و سپیده میساید
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دیوان کبیر |
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- ستیزه کن که ز خوبان ستیزه شیرینست
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دیوان کبیر |
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- سجده کنم پیشکش آن قد و بالا چه شود
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دیوان کبیر |
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- سحر است خیز ساقی بکن آنچ خوی داری
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دیوان کبیر |
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- سحر این دل من ز سودا چه میشد
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دیوان کبیر |
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- سحرگه گفتم آن مه را که ای من جسم و تو جانی
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دیوان کبیر |
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- سحری چو شاه خوبان به وثاق ما درآمد
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دیوان کبیر |
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- سحری کرد ندایی عجب آن رشک پری
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دیوان کبیر |
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- سخت خوش است چشم تو و آن رخ گلفشان تو
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دیوان کبیر |
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- سخن به نزد سخندان بزرگوار بود
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دیوان کبیر |
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- سخن تلخ مگو ای لب تو حلوایی
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دیوان کبیر |
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- سخن که خیزد از جان ز جان حجاب کند
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دیوان کبیر |
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- سر از بهر هوس باید چو خالی گشت سر چه بود
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دیوان کبیر |
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- سر بر گریبان درست صوفی اسرار را
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دیوان کبیر |
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- سر برآور ای حریف و روی من بین همچو زر
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دیوان کبیر |
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- سر برمزن از هستی تا راه نگردد گم
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دیوان کبیر |
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- سر برون کن از دریچه جان ببین عشاق را
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دیوان کبیر |
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