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- مه دی رفت و بهمن هم بیا که نوبهار آمد
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دیوان کبیر |
شعر |
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- مه روزه اندرآمد هله ای بت چو شکر
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دیوان کبیر |
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- مه طلعتی و شهره قبایی بدیدهای
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دیوان کبیر |
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- مه ما نیست منور تو مگر چرخ درآیی
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دیوان کبیر |
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- مها به دل نظری کن که دل تو را دارد
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دیوان کبیر |
شعر |
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- مها به دل نظری کن که دل تو را دارد
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دیوان کبیر |
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- مها یک دم رعیت شو مرا شه دان و سالاری
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دیوان کبیر |
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- مهتاب برآمد کلک از گور برآمد
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دیوان کبیر |
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- مهرهای از جان ربودم بیدهان و بیدهان
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دیوان کبیر |
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- مهم را لطف در لطفست از آنم بیقرار ای دل
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دیوان کبیر |
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- مهمان توام ای جان زنهار مخسب امشب
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دیوان کبیر |
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- مهمان شاهم هر شبی بر خوان احسان و وفا
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دیوان کبیر |
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- می بده ای ساقی آخرزمان
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دیوان کبیر |
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- می بسازد جان و دل را بس عجایب کان صیام
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دیوان کبیر |
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- می پرد این مرغ دیگر در جنان عاشقان
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دیوان کبیر |
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- می تلخی که تلخیها بدو گردد همه شیرین
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دیوان کبیر |
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- می خرامد جان مجلس سوی مجلس گام گام
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دیوان کبیر |
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- می ده گزافه ساقیا تا کم شود خوف و رجا
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دیوان کبیر |
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- می رسد بوی جگر از دو لبم
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دیوان کبیر |
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- می شناسد پرده جان آن صنم
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دیوان کبیر |
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