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- تو مردی و نظرت در جهان جان نگریست
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دیوان کبیر |
شعر |
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- تو مرا می بده و مست بخوابان و بهل
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دیوان کبیر |
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- تو مرا جان و جهانی چه کنم جان و جهان را
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دیوان کبیر |
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- تو گواه باش خواجه که ز توبه توبه کردم
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دیوان کبیر |
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- تو کیی در این ضمیرم که فزونتر از جهانی
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دیوان کبیر |
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- تو کمترخوارهای هشیار میرو
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دیوان کبیر |
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- تو فقیری تو فقیری تو فقیر ابن فقیری
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دیوان کبیر |
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- تو عاشقی چه کسی از کجا رسیدستی
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دیوان کبیر |
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- تو شاخ خشک چرایی به روی یار نگر
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دیوان کبیر |
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- تو سبب سازی و دانایی آن سلطان بین
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دیوان کبیر |
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- تو ز هر ذره وجودت بشنو ناله و زاری
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دیوان کبیر |
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- تو ز من ملول گشتی که من از تو ناشتابم
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دیوان کبیر |
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- تو ز عشق خود نپرسی که چه خوب و دلربایی
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دیوان کبیر |
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- تو را که عشق نداری تو را رواست بخسب
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دیوان کبیر |
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- تو را سعادت بادا در آن جمال و جلال
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دیوان کبیر |
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- تو را ساقی جان گوید برای ننگ و نامی را
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دیوان کبیر |
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- تو را در دلبری دستی تمامست
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دیوان کبیر |
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- تو را پندی دهم ای طالب دین
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دیوان کبیر |
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- تو دیدی هیچ عاشق را که سیری بود از این سودا
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دیوان کبیر |
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- تو دیده گشته و ما را بکرده نادیده
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دیوان کبیر |
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