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- به دست هجر تو زارم تو نیز میدانی
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دیوان کبیر |
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- به خدمت لبت آمد به انتجاع شکر
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دیوان کبیر |
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- به خدایی که در ازل بودهست
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دیوان کبیر |
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- به خدا میل ندارم نه به چرب و نه به شیرین
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دیوان کبیر |
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- به خدا گل ز تو آموخت شکر خندیدن
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دیوان کبیر |
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- به خدا کسی نجنبد چو تو تن زنی نجنبی
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دیوان کبیر |
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- به خدا کز غم عشقت نگریزم نگریزم
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دیوان کبیر |
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- به خدا کت نگذارم که روی راه سلامت
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دیوان کبیر |
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- به خانه خانه میآرد چو بیذق شاه جان ما را
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دیوان کبیر |
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- به خاک پای تو ای مه هر آن شبی که بتابی
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دیوان کبیر |
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- به حیلت تو خواهی که در را ببندی
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دیوان کبیر |
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- به حق و حرمت آنک همگان را جانی
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دیوان کبیر |
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- به حق روی تو که من چنین رویی ندیدستم
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دیوان کبیر |
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- به حق چشم خمار لطیف تابانت
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دیوان کبیر |
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- به حق آنک تو جان و جهان جانداری
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دیوان کبیر |
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- به حق آنک بخواندی مرا ز گوشه بام
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دیوان کبیر |
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- به حق آن که در این دل بجز ولای تو نیست
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دیوان کبیر |
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- به حسن تو نباشد یار دیگر
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دیوان کبیر |
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- به حریفان بنشین خواب مرو
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دیوان کبیر |
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- به حرم به خود کشید و مرا آشنا ببرد
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دیوان کبیر |
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